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Feeling+Lingual:
From the Author's desk:-
खुशनवीसी
डिजिटल प्लेटफार्म पर लिखने का मेरा पहला ही अनुभव है, हिंदी और इंग्लिश दोनो ही भाषाओं में, दो दिन पहले Thought Bin को भी एक माह पूर्ण हो चुका है, आज Kiddie Diary को भी एक माह हो चुका हैं। Thought Bin और Kiddie Diary दोनों का काल क्रम एक है,(बीते पोस्ट में) उस भूमिका को आप पिछले पोस्ट में पढ़ सकते है, इसमें मेरे अनुभव, अब तक के जीवन जितना ही सीमित है, कुछ पोस्ट परिचित या गैब चाहे जैसे भी महसूस हो सकते है, अब मेरे लिए ब्लॉग लिखने का काम महज खानापूर्ति नहीं हैं, अतएव ज्यादातर मेरे परिवार व मेरे विद्यार्थी जीवन से संबंधित है,
Story/Tale Teller
कहानी/कथा वाचक
बहुत से ऐसे क्षण/घटनाक्रम या वैयक्तिक अनुभव रहते है, जो बीते समय में सामान्य लगते है, मगर आगे के जीवन में बेहतरीन कहानियां बन सकती है, जैसे मेरे पोस्ट “Drumsticks” के ऊपर कुछ भी डेटा नहीं था, जो कि पढ़ने पर “भानुमति का कुनबा” लगता है, बस एक रोज अपने बगीचे में मैंने घटाटोप के बीच मुनगे का घना फलों से लदा वृक्ष देखा और किसी दार्शनिक की भांति कुछ गहरी सोच में डूब गई, बहुतों के अलग-अलग विचार या लेख पढ़ के कई बार मुझे लिखना बहुत आसान काम लगता था, famous हो या नहीं, कह नहीं सकते, दूसरे लेख “Faith Not Fail”, मेरे जीवन की सच्ची घटना है, ये बात सन् 1995 की हैं जब मैं एक विवाह समारोह से हो कर के बिलासपुर से रायपुर आ रही थी, मदिरापान को मैं किसी हादसे के इंतजार किये बगैर ही हानिकारक समझती हूँ, अर्थात ऐसे कार्य जिससे शरीर या सम्पत्ति की क्षति हो, पोस्ट “Where is my Name-Plate”, हालांकि तीसरा है पर मैं समझती हूँ कि उसे ही मेरा प्रथम लेख होना चाहिए था, उसे पढ़ कर मैं अपने सभी social media accounts के उसको उनके सार समझती हूँ, यह लिखना इस लिए भी जरूरी हैं, की ऐसे कई विचार जो हमारे कार्य से सामान्यतः मेल तो नहीं खाते लेकिन उसमें लाइक करते हुए हम प्रसन्नता का अहसास फिर भी करते है, वो अलग बात है कि यह तर्कयुक्त नहीं हैं, बल्कि यह तांकझांक अधिक है, इसमें मेरे मौलिक और कुछ स्वरचित जीवन विवरण अंकित हैं, पोस्ट “Trip”, के बारे में ऐसे समय में जब बच्चे सामान्य या बड़े से बड़े फैसले में माता पिता की राय लेने में अनमनापन रखते है, ये मुझे अपने पर गर्व दिलाता है, जैसे मुझसे परीक्षा में कोई प्रश्न हो “इस प्रश्न पर सगर्व उत्तर दीजिए?”, पोस्ट “Leader”, मेरे बाल्यकाल से जुड़ी घटना है, जिसे मैंने रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन लिखा था, इस वर्ष राखी ना बांध पाने का मलाल तो रहेगा, लेकिन ऐसे मीठे अनुभव याद करके ऐसी सभी त्यौहार के जोड़ बन जाते हैं, पोस्ट “Triumphant”, भी वह का वही है, हार के बाद कि जीत पहले की स्थिति से भी अधिक प्यारी लगती हैं, बाकी देखते रहिये।